टुडे गुजराती न्यूज (ऑनलाइन डेस्क)
जहरीली शराब से 72 मौत..। क्या इसका कोई इलाज नहीं था? इन्हें क्यों नहीं बचाया जा सका? क्या शराब के नाम पर ये जहर पी गए थे? मरने वालों ने 12 दिसंबर की रात शराब पी थी। 48 घंटे बाद पहली मौत होती है। जिन 72 की मौत हुई, यदि उन्हें तत्काल अस्पताल ले जाते तो ज्यादातर जिंदा होते। शुरुआत के सबसे जरूरी 12 घंटे घरवालों ने बर्बाद कर दिए।
मरने वालों के घरों के लोगों का कहना है कि पुलिस का डर… 2 हजार से 5 हजार रुपए जुर्माना देना पड़ेगा। FIR भी दर्ज हो सकती है।
बस इसी जुर्माने और FIR के डर से किसी का पिता तो किसी की पत्नी या बेटा घरेलू इलाज करते रहे। नमक का घोल पिलाकर उल्टी कराई तो किसी को साबुन का घोल दिया गया। तबीयत और बिगड़ी, तो गांव के आसपास झोलाछाप डॉक्टर के पास पहुंचे। ऐसा करते-करते 24 घंटे बीत गए। आंखों से दिखना बंद होने लगा और सांसें फूलने लगीं तो घबराए। जुर्माना और सजा की परवाह किए बगैर मरीज को लेकर सरकारी अस्पताल पहुंचे।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मशरख पहुंचे तब तक 24 से 48 घंटे बीत चुके थे। अधिकतर की हालत गंभीर थी। डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए और कहा कि छपरा सदर अस्पताल ले जाओ। छपरा यहां से 35 किमी दूर है। मरीजों की सांसें उखड़ने लगीं। इस 35 किमी के सफर में ज्यादातर मौत हो गई।